कविता

नि:शब्द

तुम्हारा बोलता जाना
मेरा सुनता जाना
जवाब आँखों मे था
लबों पे खोजता जाना।

दिल जब भी बोले
मेरा मानता जाना
करवटों मे बिती रात
लबों की भी सुनते जाना।

अंजुलियों में पानी भरना
जैसे कुछ पाने की चाहत में
कुछ समेटने की कोशिश में
बूंद बूंद कुछ रिसते जाना।

चेहरे पर मुस्कुराहट
आँखों का सूनापन
होंठो पर निःशब्द तरन्नुम
प्रशांत हृदय का धड़कन ।

अनंत अनघ में मिलता मन
पग में मोह की जंजीरें
प्राणीत प्यार में पगता मन
बंद पलकों में समाती अनंत रश्मि।

कुछ अंदर कुलबुलाती अह्सास
बुला रही पास…..पास……..
और भी पास….पास……
सिर्फ धड़कनें और कुछ भी नहीं।

श्याम सुन्दर मोदी

शिक्षा - विज्ञान स्नातक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से प्रबंधक के पद से अवकाश प्राप्त, जन्म तिथि - 03•05•1957, जन्म स्थल - मसनोडीह (कोडरमा जिला, झारखंड) वर्तमान निवास - गृह संख्या 509, शकुंत विहार, सुरेश नगर, हजारीबाग (झारखंड), दूरभाष संपर्क - 7739128243, 9431798905 कई लेख एवं कविताएँ बैंक की आंतरिक पत्रिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित। अपने आसपास जो यथार्थ दिखा, उसे ही भाव रुप में लेखनी से उतारने की कोशिश किया। एक उपन्यास 'कलंकिनी' छपने हेतु तैयार