कविता

नन्ही परी

मेरी एक नन्ही परी है
सबके आँखों की एक कली है
फुल बनकर पास रहती
मधुर हवा मे झुम उठती।

मेरी दिल की ख्वाइसे हो
जीवन का ये शुभ घड़ी हो
खुशियाँ बाटती खूब लुटाती
मेरी जी को खूब लुभाती।

सुंदर पावन सी ये सितम है
बेटी बनकर आई धरा पे
तु है लक्ष्मी तु है दुर्गा
सबकी अरमानों की झड़ी है।

घर आँगन की फुलवारी हो
जीवन का एक लक्ष्य हो
तेरी रूप निराली लगती
मेरे धर की नन्ही परी हो।
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।