कविता

यादें

प्रिय तेरी यादों में
तन्हा यू ही रहा करती
तु आसमां का बादल है
तो मैं बारिस की बूंदे हूँ।

तेरे बिन रहू मै कैसे
तेरे बिन जिऊ मैं कैसे
तु एक कली हो मेरी
मैं एक परी हूं तेरी।

बादल बनकर नभ मे छायें
वर्षा बन बू़ंदों मे समाये
दीपक बाती का संबंध है
कहु तो जीवन का सार है।

तेरे से अंधियारा मिटता
तेरे से उजाला आता
तु मेरे मे मैं तेरे मे
साथ निभाये हर पल संग में।
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।