लघुकथा पूजा
शादी की धूमधाम के बाद गृह प्रवेश के समय मन में अनेकानेक ख्वाब और अपने सुंदर भविष्य की कामना लिए पूजा अपने कदमों की छाप के साथ घर में आई।
थकावट बहुत थी ,पर मन में उत्सुकता थी कि सासु मां कैसी होंगी। विनय को तो पहले से जानती थी पर उनकी मम्मी के बारे में ज्यादा जानने का मौका नहीं मिला था। विनय की बहन की शादी हो चुकी थी, घर में मां थी पिता जी को गुज़रे काफी साल हो गए थे। पहले किराए के घर में रहते थे अब विनय ने नया आलिशान घर लिया था। विनय मां का बहुत सम्मान करता था पर पूजा के मन में क्या है ये नहीं जानता था। सासु मां को डर था कि बहू पता नहीं क्या सोचती है ? आजकल के बच्चे…वैसे भी पूजा बहुत अमीर खानदान की है और विदेश में पढ़ी लिखी है। वो हिचकिचाते हुए नई बहू के पास जाकर बोलीं…पूजा आज से ये घर तुम्हारा है मैं तुम दोनों के साथ यहीं रहूंगी।
पूजा ने जल्दी उठकर सासु मां के पांव छूकर उनसे कहा …नहीं मां ! ये घर आपका है, हम आपके साथ यहां रहेंगे। पूजा सासू मां के गले लग गई, सासू मां को सारे प्रश्नों के उत्तर मिल गए थे।
— कामनी गुप्ता