शाख से टूटे पत्ते
शाख से टूटे कुछ पत्ते
कुछ मुरझाये ,कुछ सूखे
कुछ मिटटी में सने हुवे
मुस्काती कलियों को देख रहे थे
और अपनी किस्मत पे रो रहे थे .
तभी एक बेदर्दी ने आकर
कलियों को मसल डाला
और एक गरीब बुढ़िया ने
सूखे पत्तों को ,
अपनी झोली में भर डाला
कलियों को मसलने वाला
तो हाथ मलकर रह गया
और सूखे पत्तो के सहारे
उस दुखयारी का
एक दिन चूल्हा जल गया!
-– जय प्रकाश भाटिया