जय रेणु, जय सिरचन
रेणु जी की कहानी ‘ठेस’
ठेस पर आधारित है ।
ठेस ने
सिरचन जैसे
स्वाभिमानी कलाकार को
जन्म दिया है ।
सिरचन चिक,
सीतलपाटी आदि बनाते हैं !
वह पैसे के लिए
काम नहीं करता है,
वह प्रेम और खाने के लिए
कार्य करता है।
वह मुँहजोर है,
पर कामचोर नहीं !
किन्तु हरकोई
सिरचन के
स्वाभिमानी कृत्य को
जानते हुए भी
उन्हें आखिर में ‘ठेस’
पहुंचा ही देता है !
मानू की विदाई से
पहले ही….
जय सिरचन,
जय रेणु !