कविता

तर्कवादी

आप बर्नार्ड शॉ को
जान रहे हैं,
इब्बार रब्बी को
जान रहे हैं,
ब्लिट्ज को
जान रहे हैं,
पाब्लो नेरुदा को
जान रहे हैं,
पेरियार को
जान रहे हैं ?
अगर नहीं,
तो इन्हें
जानने के लिए
पढ़ना पड़ेगा !
अध्ययन किया जाने के
कोई विकल्प नहीं हैं !
जबकि अनुभव सीमा में
बंधे होते हैं,
पढ़ाई असीमित है !
हम पोखर के
मेढ़क
कदापि न बने !
हम 21वीं सदी में
जब तक
अध्ययनार्थी नहीं बनेंगे,
तबतक
एक तर्कवादी
बन ही नहीं सकते !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.

One thought on “तर्कवादी

  • हम 21वीं सदी में
    जब तक
    अध्ययनार्थी नहीं बनेंगे,
    तबतक
    एक तर्कवादी
    बन ही नहीं सकते !
    यथार्थ तथ्य है। अध्ययन ही है जो हमें असीमित विस्तार देता है तर्कवादी और आस्थावान बनने के।

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