कविता सचमुच बसंत है
क्या सचमुच बसंत है
जिसमें नहीं
दिखते हैं
पेड़
जिनमें था कुछ पंक्षियो का घरौंदा।
जिसमें रहते थे
कुछ बच्चे
जिनसे छीन लिया गया
जीवन उनका
और देखने वाले
देखते रहे
— अभिषेक जैन
क्या सचमुच बसंत है
जिसमें नहीं
दिखते हैं
पेड़
जिनमें था कुछ पंक्षियो का घरौंदा।
जिसमें रहते थे
कुछ बच्चे
जिनसे छीन लिया गया
जीवन उनका
और देखने वाले
देखते रहे
— अभिषेक जैन