गीत/नवगीत

गीत – सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का

दुनियां में सर्वोत्तम है त्योहार वैशाखी का
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

बादशाह दरवेश गुरू गोबिंद सिंह एक शक्ति।
सिक्खी की बुनियादी परिभाषा में है भक्ति।
इसके भीतर होता है दीदार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

ख़ालसे का जन्मोत्त्सव है सर्जन पांच प्यारे।
देते जैसे लौ निराली सूरज चांद सितारे।
पांच कक्कार निशानी हैं संस्कार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

ख़ालसा है अकाल पुरख की फ़ौज निराली जग पर।
गोबिंद जैसा मिलता नहीं अर्पण माली जग पर।
हक् सच्च संकल्प सेवा समता किरदार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

सांझीवाल निम्रता शाक्ति भक्ति सभ्याचार।
कुर्बानी संयम संतोख समर्पण में सत्कार।
सच्चाई एवं मानवता गुलज़ार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

भूल नहीं सकता भारत को जल्लियावाला बाग़।
अंग्रेजों ने मौत ब्याही इस पर लगा कर दाग।
अमृतसर में होता है दीदार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

इस दिन श्री हरिमन्दिर साहिब में होती दीपक माला।
दस गुरूओं की ज्योति जलती इंतहा अनुपम आहा।
गुरबाणी का कीर्तन है श्रृंगार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

‘बालम’ ढोल नगाड़े गत्तका भंगड़े और अल्गोज़े।
फ़सलें ख़ुशबू फूल सरसों के करते हैं समझौते।
सब ध्र्मों का मेला सभ्याचार वैशाखी का।
सिक्खी का इतिहास सुनाए प्यार वैशाखी का।

— बलविन्दर ‘बालम’

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409