सामाजिक

साहित्य समाज का दर्पण है तो महिला राष्ट्र का चरित्र है

पूरा विश्व आज महिला दिवस मना रहा है। महिला शब्द ही तीन वर्ण से बना है। (‘म’ -‘ही’- ‘ला’)- ‘म’ में मां छुपा हुआ हे।हि’ में बहन छुपा हुआ है। तो ‘ला’ में पत्नी छुपा हुआ है इन तीनों रूपों को सुशोभित करने वाली महिला जाति ही है जो सृष्टि का सृजन ही नहीं बल्कि पालन करने  वाली तारणहार है।
 महिला समाज की रीढ़ हैं। पुरुष मानव महल रूपी स्तंभ एवं नींव है तो महिला  आस्था, विश्वास और उपासना की देवी जो मानवीय मंदिर के गुंबद के समान है। महिला समाज का आईना है जैसी समाज में महिला होंगी वैसे ही समाज का निर्माण होगा पुरुष समाज में पुरुष दया दाया हाथ है तो महिला बाया हाथ है जिनके कर्मों से सृष्टि चलायमान  होती है एक के अभाव में असंभव है। आज नारी हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर परिवार, समाज एवं राष्ट्र का सृजन ही नहीं बल्कि विकास की नीव बन रही ही है। जो भी समाज  नारी को सम्मान, इज्जत स्वतंत्रता एवं समानता का दर्जा देता है समाज राष्ट्र तरक्की किए बिना नहीं रह सकता एक संस्कारित राष्ट्र है तू पढ़ी-लिखी सुशिक्षित नारी का होना अति आवश्यक है। पुरुष यदि समाज का चेहरा है तो नारी समाज का दर्पण है। जिस दिन देश की महिलाएं पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बन जाएगी उसी दिन देश अपने आप आत्मनिर्भर बन जाएगा आज देश की महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे बढ़ रही है देश दुनिया के जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्हें महामानव बनाने वाली नारी ही है तभी तो जयशंकर प्रसाद ने कहा था -“नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में।
 पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन की सुंदर समतल में।”
 आज देश में नारी की स्थिति बड़ी विचित्र है जहां भारत जैसे देश में बेटियों की पूजा करते हैं नारी को देवी स्वरूपा माना जाता है फिर क्यों उन्हें निम्न समझा जाता है परिष्कृत किया जाता है उनके साथ जुल्म ढाए जाते हैं असमानता का दर्जा दिया जाता है इस दकियानूसी सोच परंपरा पर व्यक्ति समाज एवं राष्ट्र को आज गहन चिंतन मनन करने की अति आवश्यकता है महिलाओं को समाज सुरक्षा ही न दें बल्कि स्वतंत्रता दे, सम्मान दें,पुरुष के बराबर समाज में पूर्ण समानता का दर्जा मिले। समाज नारी को साक्षर ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित करें। नैतिक मालवीय मूल्यों के साथ सभ्य बनाए।
   महिला क्रांति ने ही सर्वप्रथम न्यूयॉर्क शहर में महिला आंदोलन खड़ा कर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 15000 मजदूर महिलाओं ने 1960 में अपनी मेहनत आना और अधिकारों के हित लड़ाई लड़ी तो बाद में दुनिया के कई राष्ट्रों ने इसका प्रभाव पड़ा और एक महिला आंदोलन की क्रांति का सूत्रपात हुआ और आज 8 मार्च को विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जा रहा है 8 मार्च को महिला दिवस मनाना ही पर्याप्त नहीं है प्रत्येक व्यक्ति समाज राष्ट्र बालक बालिकाओं को समानता का दर्जा दे महिलाओं से अत्याचार न करें दुनिया में बलात्कार रूपी रावण को खत्म करें महिला आजादी का एवं अधिकारों का एवं और सुरों का पूर्ण दर्जा मिले साहित्य समाज का दर्पण है तो महिला राष्ट्र का चरित्र है पुरुष समाज की नींव है तो महिला समाज के विकास की सीढ़ी है पुरुष ताला है तो महिला चाबी है पुरुष मकान है तो महिला घर है पुरुष घर का दरवाजा है तो महिला घर की खिड़कियां है पुरुष दीपक है तो महिला रोशनी है  विदेशी राजनीतिज्ञ गोैर्बा चौफ  ने 1987 में महिला दिवस पर कहा था रोटी किताब और स्त्री यह जीवन की तीन अनमोल रत्न है रोटी हमें जीवन दान देती है किताबे पीढ़ियों को जोड़ती है और महिलाएं हमारे जीवन सूत्र को बांधकर रखने में अहम भूमिका निभाती है इनमें से किसी एक के बिना भी जिंदगी बेमानी हो जाती है।” महात्मा गांधी ने कहा था -यदि मैं स्त्री रूप में पैदा होता तो मैं पुरुषों द्वारा थोपे गए हर अन्याय का जमकर विरोध करता।” और उन्होंने यह भी कहा था कि “नारी को अबला कहना उसकी मानहानि करना है।”
 महान विधि वेत्ता,  महिलाओं की हितैषी एवं महिलाओं के उद्धारकर्ता डॉ बी आर अंबेडकर ने महिलाओं के लिए संविधान  में पूर्ण रूप से पुरुषों के बराबर हक एवं दर्जा दिलाने के लिए हिंदू कोड बिल पास करवाने के लिए अपने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था।ऐसे बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था -“मैं किसी समाज की प्रगति का अनुमान इस बात से लगाता हूं कि उस समाज की महिलाओं ने कितनी प्रगति की है।”
      महिलाओं को संविधान में अनेक अधिकार मिले हैं कई कानून बने हुए हैं दहेज निवारण अधिनियम 1960 एक बाल विवाह निरोध अधिनियम 976 प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1990 4 घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध निवारण अधिनियम 2013 रात्रि में या शाम को गिरफ्तार न करने का अधिकार पिता वह पति की संपत्ति पर अधिकार दिए गए हैं इसके बावजूद आज महिला अपराध क्यों बढ़ रहे हैं यह संपूर्ण मानव समाज के लिए चिंता एवं चिंतन का विषय है। आज महिला का शोषण पर अंकुश लगाना चाहिए। घर में मां अपने बेटे को श्रवण कुमार के रूप में देखना चाहती है किंतु बहू को अपनी बेटी की तरह व्यवहार करने में असमर्थ होना भी परिवार बिखराव का बड़ा कारण है। महिला, महिला का सम्मान कर पहले महिला जाति को मजबूत बनाने का संकल्प ले। आज महिलाओं ने भी “मी टू” जैसे बड़े अभियान में बढ़-चढ़कर भाग ले कर भी अपने को मजबूत करने का बीड़ा उठाया है। अपने आचरण,व्यवहार एवं  नैतिक मूल्यों से महिला अपनी संस्कृति को मजबूत कर नए समाज की संकल्पना हेतु उच्च अध्ययन कर आदर्श मानव समाज की बागडोर को संभाले। सृष्टि की सुंदरता को देखने के लिए मानव की दो आंखें हैं उन दोनों नेत्रों में एक नेत्र पुरुष का है तो दूसरा नेत्र महिला का है। इस प्रकार दोनों नेत्र सुंदर मानव जाति के खिलते फूल है। मानव जीवन रूपी रथ के दोनों आदमी और औरत दोनों पहिए हैं। एक के अभाव में मैं दूसरे का महत्व गौण है।
       प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  पर थीम -(8 मार्च 2021 की थीम)-“वूमेन इन लीडरशिप अचिविंग इन इक्वल फ्यूचर इन ए कोविड-19 वर्ल्ड” रखी गई है।
    आओ हम सब मिलकर महिला दिवस पर महिलाओं को सशक्त बनाने का तन मन से संकल्प लें और उनका दिल से सम्मान करें क्योंकि-
मांँ है तो जन्नत है। बहिन है तो रिश्ता है। पत्नी है तो घर है। बेटी है तो अभिमान है।
     – – डॉ. कान्ति लाल यादव

डॉ. कांति लाल यादव

सहायक प्रोफेसर (हिन्दी) माधव विश्वविद्यालय आबू रोड पता : मकान नंबर 12 , गली नंबर 2, माली कॉलोनी ,उदयपुर (राज.)313001 मोबाइल नंबर 8955560773