एक नारी ने, जन्म दिया था
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।
विश्वासघातिनी ने सब छीना, पर, नारी से विश्वास न जाई।।
जन्म दिया, और, नारी ने पाला।
पिलाया पल पल प्रेम का प्याला।
कपट जाल में, नर को फंसाकर,
नारी ने ही, मुँह किया काला।
प्रेम बहिन का, याद करूँ, या कुलटा की चाल, जो हैं चलाई।
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।।
औकात से बढ़, जब नारी चाहे।
पाप के, सागर में, अवगाहे।
काम पिपासा, धन की आशा,
कटरा हो, या हो फिर माहे।
बेटी, बहिन और माँ की महानता, नारी ही, बनती हरजाई।
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।।
नारी पर विश्वास है अब भी।
धोखा खाया, प्रेम है तब भी।
प्रेम नाम, कुछ धोखा देतीं,
कुछ की पूजा, करता रब भी।
विश्वासघातिनी, कुलटा, इधर है, प्राण दात्री नारी माई।
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।।