गीत/नवगीतपद्य साहित्य

एक नारी ने, जन्म दिया था

एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।
विश्वासघातिनी ने सब छीना, पर, नारी से विश्वास न जाई।।

जन्म दिया, और, नारी ने पाला।
पिलाया पल पल प्रेम का प्याला।
कपट जाल में, नर को फंसाकर,
नारी ने ही,  मुँह  किया काला।
प्रेम बहिन का, याद करूँ, या कुलटा की चाल, जो हैं चलाई।
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।।

औकात से बढ़, जब नारी चाहे।
पाप के,  सागर में,  अवगाहे।
काम पिपासा, धन की आशा,
कटरा हो, या हो फिर माहे।
बेटी, बहिन और माँ की महानता, नारी ही, बनती हरजाई।
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।।

नारी पर विश्वास है अब भी।
धोखा खाया, प्रेम है तब भी।
प्रेम नाम, कुछ धोखा देतीं,
कुछ की पूजा, करता रब भी।
विश्वासघातिनी, कुलटा,  इधर है, प्राण दात्री नारी माई।
एक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)