भोले भंडारी
हे मेरे प्रभू महेष बाबा शिव भोले भंडारी ।
मै सोमेश बना बन्दर बाबा भोले बने मदारी ।।
हाथ डमरू त्रिशूल बाघाम्बर ओढ़े त्रिपुरारी ।
देने वाले आप हो प्रभू मै हूँ केवल भिखारी ।।
भष्म रमाये बैठे करते हो नंदी की सवारी ।
जन्म जन्म से हूँ बाबा आपका आभारी।।
गले मे नाग की माला कान में बिच्छू बाला ।
कैलाश पति हे शिवशंकर मेरे डमरू वाला ।।
हलाहल विष को पीकर जग को संभाला ।
क्रोध जब आये तो पृथ्वी को हिला डाला ।।
माथ में चँदा सुंदर सोहे पिये भांग का प्याला ।
बैठे धुनि रमाये जपते राम नाम की माला ।।
जटा से बहती है निर्मल पावन गंगा की धार ।
शिव भक्ति ही है जीवन का मात्र असली सार ।।
अर्धनारीश्वर बन प्रभू किया दुष्टों का सँहार।
मेरे भोलेनाथ आप की महिमा है अपरम्पार ।।
— सोमेश देवांगन