राष्ट्र धर्म
लोगों का कहना है,
मैं नास्तिक हूँ !
क्योंकि मैं
धर्म से भी बड़ा
राष्ट्र को मानता हूँ!
राष्ट्रधर्म के आगे
धार्मिक पर्व व्यर्थ है !
भीड़ में खोने से
अच्छा है,
एकांत से भीड़ की
निगरानी की जाय !
अब इत्ते निराश
होने लगा हूँ,
कि इश्क़ करते
सोने लगा हूँ !
जरा-सी ठेस लग जाये,
तो शीशा चूर हो जाये !
सभी कलीग ‘मित्र’
नहीं होते !
प्राय: कलीग
प्रोफेशनल होते हैं,
किन्तु कुछ कलीग में
अपनापन होते हैं,
बाद में वही मित्र हो जाते हैं !
आते हुए चुनाव की आहट,
भ्रष्टाचार की चरम सीमा !
करवा लेना चाहिए,
राजनैतिक दलों को
अपन-अपन
संपत्तियन की बीमा !
अगर आप मोती
हासिल करना चाहते हैं,
तो आपके अंदर
सागर की गहराई में
उतरने की
हिम्मत होनी चाहिए,
बगैर जोखिम उठाए
सफलता संभव नहीं !
नेताजी ने अपने जीवन को,
इसप्रकार जीया है;
साफ हो या गंदा,
किन्तु बेफिक्र होकर –
घाट-घाट का
पानी पीया है !
बदनाम भी होंगे तो
‘नाम’ ही होगा !
ब द नाम ?