कविता

राष्ट्र धर्म

लोगों का कहना है,
मैं नास्तिक हूँ !
क्योंकि मैं
धर्म से भी बड़ा
राष्ट्र को मानता हूँ!
राष्ट्रधर्म के आगे
धार्मिक पर्व व्यर्थ है !
भीड़ में खोने से
अच्छा है,
एकांत से भीड़ की
निगरानी की जाय !
अब इत्ते निराश
होने लगा हूँ,
कि इश्क़ करते
सोने लगा हूँ !
जरा-सी ठेस लग जाये,
तो शीशा चूर हो जाये !
सभी कलीग ‘मित्र’
नहीं होते !
प्राय: कलीग
प्रोफेशनल होते हैं,
किन्तु कुछ कलीग में
अपनापन होते हैं,
बाद में वही मित्र हो जाते हैं !
आते हुए चुनाव की आहट,
भ्रष्टाचार की चरम सीमा !
करवा लेना चाहिए,
राजनैतिक दलों को
अपन-अपन
संपत्तियन की बीमा !
अगर आप मोती
हासिल करना चाहते हैं,
तो आपके अंदर
सागर की गहराई में
उतरने की
हिम्मत होनी चाहिए,
बगैर जोखिम उठाए
सफलता संभव नहीं !
नेताजी ने अपने जीवन को,
इसप्रकार जीया है;
साफ हो या गंदा,
किन्तु बेफिक्र होकर –
घाट-घाट का
पानी पीया है !
बदनाम भी होंगे तो
‘नाम’ ही होगा !
ब द नाम ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.