अध्यात्म और जीवन की सरलता
अध्यात्म हमारे जीवनदर्शन के चिंतन, मनन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
जीवन में भौतिक उपलब्धियां ही सब कुछ नहीं होती हैं। एक खुशहाल जीवन के लिए आध्यात्मिक मूल्यों की भी आवश्यकता है। यह आपको अपनी और क्षणभंगुर संसार से पहचान करता है।साथ ही विश्व की कल्याण हेतु एक आत्मिक प्रकाशपुँज आलोकित होता है, जिससे इस माया से बंधे संसार में रहकर भी आपको परमात्मा से लीन होने का मार्ग मिलता है। अध्यात्म एक विज्ञान है। जिसके सही प्रयोग से जीवन की कठिनाइयाँ सरल लगने लगती हैं। यह सब अध्यात्म की ओर हमारे सर्वोत्तम झुकाव की ओर संकेत करता है।
अध्यात्म हमें भौतिकता से दूर करने का नाम नहीं है,अपितु अध्यात्म से ‘मैं’ और ‘हम’ का भेद, मतलब स्पष्ट होता है। अध्यात्म से मतलब सिर्फ़ पूजा पाठ ही नहीं है। अध्यात्म हमें ईश्वर से जोड़ता है,हमें उस सर्वशक्तिमान सत्ता की महत्ता का बोध कराता है। हम अपने को निश्चिंत महसूस करते हैं। गलत कामों से डरते हैं,क्योंकि तब हमें उस अदृश्य शक्ति का हर समय अहसास होता है। लगता है कि हम उसकी निगरानी में हैं,उसका निर्देश, मार्गदर्शन, सानिध्य हमें महसूस होता है। समय के साथ हमें अपने आपमें कुछ विशेष जैसा महसूस होने लगता है। तब हमारी सोच , विचारधारा, चिंतन, कृतित्व में लोभ, मोह के स्थान पर शुद्धता, सर्वहित समाहित होने लगता है। हमारे मन में विश्वास बढ़ने लगता है, तब हम खुद को ईश्वर की निगरानी में छोड़ देते हैं। खुद को हल्का पाते हैं। हमारी चिंताएं स्वत: समाप्त होने लगती हैं। तब हम महसूस करते हैं कि हम हर कार्य बड़ी ही आसानी से कर पा रहे हैं। हम कहीं से प्रेरित संचालित हो रहे हैं। हमारी शक्ति बढ़ रही है,हमारा जीवनपथ सुगम हो रहा है।
हमारे जीवनपथ में अध्यात्म का अहम रोल है। जिसकी कोई काट नहीं है। यही नहीं अध्यात्म हमारी मृगतृष्णा जैसी प्रवृति पर अंकुश लगाकर हमारे जीवन को सरल ,सुंदर और खुशहाल बनाता है।