नारी शक्ति
विषय नारी/वनिता
विधा-आलेख/संस्मरण
यूं तो इंसान अपने जीवन काल में ऐसे कई लोगों के संपर्क में आता है जो उसके प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं घर की प्रथम पाठशाला की शिक्षिका मां स्कूल के शिक्षक शिक्षिका किंतु यह कहानी जो मैं आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूं इस महिला दिवस की सशक्त उदाहरण है और वह भी मेरे आंखों देखी प्रस्तुत है यह लघु कथा।
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही हूं एक छोटी सी कहानी कहते हुए। यह सच्चाई की बात है। हम जिस बिल्डिंग में रहते हैं उसी के सेकंड फ्लोर में एक बंगाली परिवार रहते हैं। आंटी की मां हमेशा उनके साथ होती थी। वह दो बहने थी बारी-बारी से आंटी की मां एक दूसरे बेटियों के घर में जाकर के रहती थीं। उनका एक बेटा भी था लेकिन शायद वह पूछता नहीं था। अभी हाल फिलहाल आंटी की मां की तबीयत काफी खराब हो गईं। उन्हें आईसीयू में रखा गया।उनका 10 – 12 रोज पहले दाह संस्कार किया गया। बेटा के होते हुए दोनों बेटियों ने अपनी मां को कांधा दिया मुखाग्नि दी, और जितने भी रस्मों रिवाज होतें है उन दोनो ने ही किया।आज उनका ब्राम्हणों को भोज कराना और गीता पाठ था, हम सब गए थे वह माल्यार्पण करने के लिए। दोनों बेटियां कथा पर बैठी हुई है भूखी प्यासी क्योंकि जो मुखाग्नि देते हैं उन्हें पूजा अर्चना किया जाता है। वह सुबह से भूखी प्यासी बैठी है शाम के 3:00 बज गए थे फिर भी उन्होंने कुछ खाया नहीं था। मैं खुद को रोक नहीं पाई ये बताते हुये। सुना बहुत था देखा पहली बार। वाकई में बहुत कुछ बदल रहा है।अब यह कथन भी झुठा साबित हो रहा है कि पुत्र ही मुखाग्नि दे नहीं तो मोक्ष प्राप्त नहीं होता। ये भी महिला सशक्तिकरण से कम नहीं है।सभी महिलाओं को नमन।
नारी तो है धरा,उसे जरुरत पङे क्युँ भला,
कि करे उसके लिये कोई व्रत या रोजा़,
रचा है प्रभु ने उसे कई तत्वों से,
सींचा है सबको उसने अपने रक्तों से,
तभी तो रौशन है सबका घर आँगन,
फिर रखा है उसने व्रत आबाद रहे मेरा साजन,
है वो किसी के लहु की निशानी,
तभी तो देते रहती सदैव ही ऐसी कुर्बानी।
उसकी तो हर बात जुदा,ना करो मेरे लिये रोजा।
स्वरचित
सविता सिंह मीरा
जमशेदपुर
झारखंड