लघुकथा

डर के आगे जीत

भाभी की जचगी पर खुशी भाभी के मायके आई थी । कुछ दिनों से नन्हीं के साथ खेलने के बहाने भाभी के कमरे में ही सो जाती थी ।
आज भइया आये तो लाचारी में खुशी को दूसरे कमरे में सोना पड़ा ।
वह परेशान हो रही थी । दिलोदिमाग में मची हलचल में रिश्तों की अहमियत उसे कुछ भी गलत करने से हर बार रोक लेता था ।
चाह कर भी भाभी के छोटे भाई की गंदी नज़रों एवं हरकतों के बारे में किसी से भी खुल कर बोल नहीं पा रही थी ।
आधी रात से ज्यादा बीत चुकी थी, तभी खिड़की से कुद कर किसी को अपने बेड तक आते देखा ।
“खुशी कब तक तुम हमें तड़पाओगी ? एक बार गले लग कर हमारी प्यास बुझा दो ।”
खुशी मानों इसी पल का इंतजार कर रही थी । वह साये से लिपटते हुए जोड़ से उसकी बांहों में अपने दाँत गड़ा दी ।
आह…ऊफ्फ मर गया कहते हुए वह भागने लगा ।
“बुज़दिल कायर कमीने…हिम्मत है तो घरवालों को इस जंगली बिल्ली के पंजे से परिचय करवाओ ।”
लेकिन उसकी बात सुनने से पहले ही वह साया ‘नौ दो ग्यारह’ हो गया । अपने फैसले पर गर्व कर मुस्कुरा उठी । डर के आगे जीत है, पापा अक्सर कहा करते हैं।
— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com