पहली मुलाकात के दोहे
मुलाकात पहली बनी,बहुत बड़ा वरदान।
तुझसे ही मुझको मिली,एक नई पहचान।।
तेरे मिलने से हुए,पूरे सब अरमान।
तू ही अब है ज़िन्दगी,तू ही मेरी शान।।
मुलाकात पहली सदा,रक्खूँगा मैं याद।
मैं था उजड़ा,व्यर्थ-सा,हुआ तभी आबाद।।
तू मुझसे जब आ मिली,बिखरा मोहक नूर।
हर नीरसता मिट गई,मायूसी सब दूर।।
बनकर तू जलधार प्रिय,बुझा गई सब प्यास।
बस अब तुझसे आस है,तुझ पर ही विश्वास।।
मुलाकात पहली बनी,एक नवल उपहार।
जीवन मेरा पा गया,पूरा इक संसार।।
मुलाकात पहली लिए,इक चोखा इतिहास।
जिसमें शुचिता है बसी,दिव्य एक अहसास।।
तेरा मिलना बन गया,तारों की बारात।
बात नहीं यह है सरल,यह पूरी सौगात।।
वे पल मेरे संग नित,जो थे तेरे साथ।
तुझको लेकर जो प्रथम,मुझको सौंपे हाथ।।
मुलाकात पहली सदा,गाएगी नव गीत।
वैसे मैं हारा नहीं,तूने पाई जीत।।
–प्रो.(डॉ)शरदनारायण खरे