गजल
नविक की भी जिम्मेदारी होती है
सागर से जंग जो जारी रहती है
नकुसान बहुत पहुंचते हैं यहां अपने लोग
यही सोच में तबीयत भारी रहती है
अपने मुंह को बना लेते हैं सुनकर वो
जब भी सामने उनके बात हमारी रहती है
नविक की भी जिम्मेदारी होती है
सागर से जंग जो जारी रहती है
नकुसान बहुत पहुंचते हैं यहां अपने लोग
यही सोच में तबीयत भारी रहती है
अपने मुंह को बना लेते हैं सुनकर वो
जब भी सामने उनके बात हमारी रहती है