कवितापद्य साहित्य

उठकर आगे, बढ़ेंगे फिर से

हम अपनी ही राह चलेंगे।
सुविधाओं को ना मचलेंगे।
उठकर आगे, बढ़ेंगे फिर से,
गलती से, यदि हम फिसलेंगे।

धोखे अब तक बहुत ही खाये।
सच के गान हैं, फिर भी गाये।
हमने सब कुछ सौंप दिया था,
तुमने छल के तीर चलाये।

नारी का सम्मान है करते।
नहीं किसी का मान है हरते।
सहयोग करते कदम कदम पर,
लेकिन धोखा, नहीं, सह सकते।

नारी विशेष है, हम हैं मानते।
डरते हैं, नहीं, रार ठानते।
कर्म प्रधान है, जग में भाई,
लिंग भेद नहीं, कर्म मानते।

कोई न अपना, ना कोई पराया।
झूठ जो बोला, वो ठुकराया।
धन, पद, यश, संबन्ध न बाँधें,
सहयोग दिया, पर साथ न पाया।

नहीं रूप की, चाह हमें है।
ना ही, धन की आह हमें है।
ज्ञानवान की चाह नहीं है,
पारदर्शी की चाह हमें है।

सच बोले, ऐसा मित्र चाहते।
मुक्त भाव, माहोल चाहते।
मन की कहे, मन की सुन ले,
ऐसा बस एक साथ चाहते।

 

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)