प्यार के बंधन
प्यार के बंधन जीवन के बंधन सदा हो ।
तन मन समर्पण जीवन अर्पण सदा हो ।।
नहीं जानता कि तुम मेरे क्या हो ,
मेरे मनमीत हो, शायद मेरे सखा हो ।
मिल जाते हैं सारी खुशियां जिसमें ,
अनमोल सा शायद तुम वो लम्हा हो ।
बंध गए हैं एक डोर में मन तेरे मेरे ,
स्नेह से भरा यह बंधन जैसे प्रेम पगा हो ।
खुदा ने चाहा तो निकाह भी तुमसे हुआ ,
दिले आलम खफा तुम से तुम ही वफा हो।
— मनोज शाह मानस