ग़ज़ल
दो दिल अगर करीब, मुहब्बत की बात है
महबूब गर हरीफ, तो’ किस्मत की बात है |
नेता विरोध फ़क्त बगावत की बात है
बेदाग़ जिंदगी खुदा रहमत की बात है |
निर्धन बशर सदा किया है देव अर्चना
बदनाम बेवज़ह है’ शरारत की बात है |
वो प्यार से कभी नहीं कुछ कहा मुझे
पर बात दिल को’ छूती’ है, उल्फत की बात है |
इंसानियत का फर्ज, वचन पे अडिग रहे
वादे मुकरना नेता की आदत की बात है |
मजलूम, मुफलिसों में धनी भेद करते’ है
ये फर्क, भेदभाव तो नफरत की बात है |
मजदूर काश्तकार किये देश हित सदा
जो देश के लिए किये, इज्जत की बात है |
हरीफ =दुश्मन
कालीपद ‘प्रसाद’
© ® सर्वाधिकार सुरक्षित