नेता जी
हम नेता अपने वजूद को है बेच खाए ।
तभी तो हम यहां के नेता जी कहाए ।।
न कोई अपना वजूद न कोई ईमान ।
वोट की खातिर बन बैठे है बेईमान ।।
बेईमानी हर वक्त हर समय करते है ।
झूठे वादों से अपना वोट बैंक भरते है ।।
भरते अपना खजाना करते भ्रष्टाचार ।
जनता भूखी बैठी बनाते हम लाचार ।।
आश लगाए नेता से बैठे है सब लोग ।
सत्ता का सुख नेता जी रहे है भोग ।।
जनता भूल गयी है अपना पहचान ।
हम नेताओ के पूरे हो रहे अरमान ।।
— सोमेश देवांगन