कविता

नेता जी

हम नेता अपने वजूद को है बेच खाए ।
तभी तो हम यहां के नेता जी कहाए ।।

न कोई अपना वजूद न कोई ईमान ।
वोट की खातिर बन बैठे है बेईमान ।।

बेईमानी हर वक्त हर समय करते है ।
झूठे वादों से अपना वोट बैंक भरते है ।।

भरते अपना खजाना करते भ्रष्टाचार ।
जनता भूखी बैठी बनाते हम लाचार ।।

आश लगाए नेता से बैठे है सब लोग ।
सत्ता का सुख नेता जी रहे है भोग ।।

जनता भूल गयी है अपना पहचान ।
हम नेताओ के पूरे हो रहे अरमान ।।

—  सोमेश देवांगन

सोमेश देवांगन

गोपीबन्द पारा पंडरिया जिला-कबीरधाम (छ.ग.) मो.न.-8962593570