उल्टे चोर कोतवाल को डांटे
पहले मुझे गाली देते हैं, फिर दूसरे से सज्जनता का तमगा आप खुद पाते हैं ! हँसी आती है, कोई अपने को दिग्गज कहते हैं, तो कोई शास्त्री हो या आचार्य और कोई ओझा-गुणी, पंडित, पाठकनामा या ……
हिन्दू धर्म पर जितना मैं पढ़ा हूँ, उतना आप सब नहीं पढ़े होंगे !
मैंने क़ुरआन और बाइबिल भी पढ़ा है ! आप सब सबको ज्योतिषी और कर्मकांड पढ़ा रहे हैं, जबकि असली हिंदुत्व अध्यात्म की ओर उन्मुख है ! जिनमें दीन को नाथ अभिहित किया गया है। आपसब इसतरह से वार्त्तालाप कर रहे हैं, मानो स्वयं ईश्वर हो गए हैं ! …और आप स्वघोषित ईश्वरदूत तो है ही !
कबीर को तो पढ़िये जरा और बुद्ध को !
हिंदुत्व की तर्क-परायणता को समझने के लिए विवेकानंद को पढ़िए !
मैं विशुद्ध वैज्ञानिकता पर विश्वास करता हूँ, इसे आप नास्तिक कहिये या जो कुछ….. परिभाषित करना आपके कार्य हैं ! हमें अध्यात्म की सीख दे सकते हैं, जो कपड़े बेचकर भी कबीर ने, जूते सिलकर रैदास ने, कपड़े सिलकर नामदेव ने पूरे किए ! कर्मकांड सिर्फ दिखावा है, वह आत्मज्ञान नहीं, तो बाह्यज्ञान भी नहीं है !
हमें आडम्बर नहीं, आत्मज्ञान चाहिए ।
अब भी मेरी बात आपको हृदयग्राह्य नहीं हो पाई हो, तो निश्चितश: मुझसे अलग हो सकते हैं !
आप जैसे अब भी मेरे फेसबुकिया फ्रेंड में हैं, अगर मेरी तर्क से सहमत नहीं हैं, तो मेरी मित्र-सूची से अलग हो सकते हैं । ऐसे अधजल गगरी मित्र मुझे नहीं चाहिए !