आधुनिकता से भी काफी आगे 3020 ई.
राकेश शंकर भारती लेखन की दुनिया में वो प्रतिष्ठित नाम है जो किसी परिचय का मुहताज नहीं है । इनका एक उपन्यास 3020 ई0 अभी हाल ही में आया है, जिसने साहित्य की दुनिया में तहलका मचा कर रख दिया है। यह उपन्यास मुझे जयपुर के कार्यक्रम में प्राप्त हुआ था, जिसका अधिकांश भाग में पढ चुका हूं ।
करोना वायरस और लॉकडाउन, पृथ्वी पर प्रलय एवं मंगल ग्रह पर मानव बस्ती स्थापित होने तक की बड़ी ही अद्भुत कहानी है । इस उपन्यास में उपन्यासकार ने अपनी कल्पना शक्ति का वो जबरदस्त उदाहरण दिया है कि उसके वर्णन के लिए मेरे पास तो शब्द ही नहीं है । भारती जी की तमाम कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं और वे सभी कृतियां अनछुए पहलुओं पर ही केंद्रित हैं ।
उपन्यास 3020 ई. में कुल 200 प्रष्ठ हैं । आधुनिक तरीके से प्रकाशित यह उपन्यास कागज, मुद्रण, लेखन, साज-सज्जा लगभग प्रत्येक दृष्टि से बहुत ही सुंदर बन पड़ा है । उपन्यास की लेखन शैली ऐसी है जो पाठक को किताब बंद ही नहीं करने देती । पाठक अगर एक बार खोलकर पढ़ने बैठ जाए तो किताब बंद करने का सवाल ही नहीं पैदा होता ।
भारती जी बिहार की पावन धरती पर जन्मे और दिल्ली में उच्च शिक्षा ग्रहण की । आजकल वे यूक्रेन में ही शादी रचा कर बस गए हैं । तमाम भाषाओं के जानकार भारती जी काफी मिलनसार,नेक हृदय सज्जन पुरुष हैं । उनकी लेखनी शारीरिक, मानसिक स्तर पर बड़ी ही बेबाकी से चलती है । नारी व अर्ध्दनारी/पुरुष पर उन्होंने बहुत लिखा है जो शोध का विषय है ।
3020ई. उपन्यास आधुनिकता से भी बहुत आगे की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है । अमन प्रकाशन- कानपुर के सौजन्य से प्रकाशित इस रोमांचकारी उपन्यास के लिए लेखक को बहुत-बहुत बधाई । हम आशा करते हैं कि भविष्य में आपकी लेखनी से निकली ऐसी तमाम कृतियां हमें पढ़ने को मिलेंगी । आप ईश्वर कृपा से स्वस्थ रहें और इसी तरह मां भारती का भंडार भरते रहें ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा