गीतिका/ग़ज़ल

होली में

रंग चलायें जी भर लेकिन जी न जलाएं होली में
आग लगाएं दाग छुङायें राग बढाये होली में

होली के रंगों से जीवन भर हर रंग छलकता है
अपनी पसन्द का रंग लगाएँ ढंग चुराए होली में

जीवन के हर पल में उमंगें नित अंगङाइया लेतीं हैं
नित-नूतन उल्लास जगाएं होली मनाएं होली में

हंसना जरूरी है होली में चुपके बोली होली
इनको हिलायें उनको डुलाये कुछ तो पिलाएं होली में

बेशक लिखना हास्य कठिन है उससे मुश्किल प्रस्तुति है
व्यंग्य सुनायें होली गायें हंसिये हंसाये होली में

ऑखों में हर शख्स की झाँके बात करें संवाद करें
ऐसी गजलें ‘शान्त’ कहें जो रंग जमायें होली में

— देवकी नन्दन ‘शान्त

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ