कविता

ईश्वर का न्याय

सुनो तुम कब तक
उस खुदा का नाम लेकर
अपने गुनाहों को
दूसरों के सिर थोपते रहोगे।
क्या तुमने ईश्वर को
अंधा समझ रखा है?
मगर वो अंधा नहीं है
वो हर एक को एकटक देखता है।
वो हर एक के
गुनाहों को नापता है तोलता है,
फिर जाकर न्याय का
थप्पड़ मारता है।
सुनो तुम कब तक
मेरी  पीठ पीछे
हर किसी से
मेरी बुराई करते रहोगे,
क्या तुमने
ईश्वर को बहरा समझ रखा है?
मगर ईश्वर बहरा नहीं है
वो उन बातों को भी सुन लेता है
जो तुमने अपने अंतर्मन में
जहर की रूप में छिपा रखी है।

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233