राजनीति

कोरोना की दूसरी लहर, दोषी कौन?

एक वर्ष बाद कोरोना की दूसरी लहर पहले से अधिक खतरनाक और तीव्र होकर वापस लौट आयी है। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब इस महामारी की चपेट में कई जगहों पर बच्चे भी आ रहे हैं। अगर कोरोना की रफ्तार को यहीं पर नहीं रोका गया और यह संक्रमण गांवों में फैल गया तो देश की स्थिति को संभालना बहुत कठिन हो जायेगा। कोरोना के तेज फैलाव के कारण एक बार फिर दहशत का वातावरण पैदा हो गया है। कोरोना की नयी लहर में महाराष्ट्र, दिल्ली सहित ग्यारह राज्य सबसे अधिक प्रभावित हैं।
कोरोना की इस नयी लहर के लिए दोषी कौन है? कम से कम यहां पर सरकार को दोषी नही माना जा सकता है। जब तक सम्पूर्ण समाज और आम जनता कोरोना की महामारी को गंभीरता से नहंीं लेगी, तब तक इसकी सप्लाई चेन को रोकना संभव ही नहीं है। जब पहली बार देश में कोरोना के कारण लाकडाउन लगाया गया था और उस समय जो दिशा निर्देश सरकार व स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किये गये थे, वे सभी नियम और गाइडलाइन अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। देश का कोई भी नागरिक अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करता नहीं दिखायी दे रहा है और सभी लोग कोविड नियमों की लगातार धज्जियां उड़़ा रहे हैं। समाज का पढ़ा लिखा वर्ग भी अब यह कह रहा है कि कोरोना नाम की कोई बीमारी नहीं है। लोग कह रहे हैं कि यह सरकार का पीएम मोदी और योगी जी का राजनैतिक प्रोपगंडा है।
अब चारों तरफ उसी तरह भीड़ हो रही है। लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं। लोग हाथों को बार-बार सैनेटाइज नहीं कर रहे हैं। कोरोना महामारी से बचाव में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। यह नियम तो पूरी तरह से धराशायी हो चुका है। लाकडाउन हटने के बाद सरकार ने कुछ नियम व शर्तें बनायी थीं कि उन्हीं के अनुसार देश के धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थल, शापिंग माल, रेस़़़़्त्रां आदि खुलेंगे। नियमों के तहत व्यापारी अपनी दुकानें व प्रतिष्ठान खोलेंगे, लेकिन कहीं भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। आज अगर देश के हालात बिगड़े हैं तो उसके लिए यह समाज ही जिम्मेदार है।
लोग वार्ता में कह रहे है कि मास्क और सेनेटाइजेशन से कुछ नहीं होता। लोग इसे भी बकवास बता रहे हैं और खुलेआम कोरोना महामारी के फैलाव को निमंत्रण दे रहे हैं। अभी जब देश व प्रदेशों में बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल व कालेजों को बंद कर दिया गया था, तब अभिभावकों का एक बहुत बड़ा वर्ग यह कह रहा था कि कोविड के नियमों का पालन करते हुए स्कूलों को खोलना चाहिए। अब वही लोग एक बार फिर सरकार की निंदा करते हुए सभी स्कूलों को बंद करने की मांग कर रहे हैं। सरकार के लिए यहां पर दोहरी परेशानी व चुनौती है। अगर सरकार सब कुछ खुला छोड़ देती है, तब भी वह आलोचना का शिकार होती है और यदि कड़ा लाॅकडाउन लगाती है तो भी।
अब यहां पर देश की आम जनता व प्रबुद्ध वर्ग को यह समझना होगा कि उसके लिए क्या ठीक है। समाज में गरीबोें के कुछ तथाकथित ठेकेदार व प्रबुद्ध वर्ग का एक बड़ा वर्ग कोरोना वैक्सीनेशन पर भी अपना तथाकथित ज्ञान दे रहा है। यह एक अच्छी बात है कि भारत के पास इस समय एक नहीं दो-दो कोरोना वैक्सीन हैं। हम पूरी दुनिया को अपनी वैक्सीन दे रहे हैं। वैक्सीन मामले पर हम आत्मनिर्भर हो चुके हैं लेकिन लोग इस पर भी सवाल उठा रहे है। आम जनता को भड़का रहे हैं। यही कारण है कि कोराना वैक्सीनेशन में अभी वह गति नहीं आ पायी है जो आनी चाहिए थी। समाज के कुछ पढ़े लिखे बेवकूफ लोग इस पर भी अपना तथाकथित ज्ञान बघार रहे हैं और कह रहे हैं कि जब उनके मोहल्ले में कोई कैंप लगेगा तब लगवायेेंगे। यह देश व समाज के लिए एक बहुत बड़ा चुनौती का समय है। अभी हम सभी लोग एक साल पहले लाकडाउन झेल चुके हैं, जिसके कारण आर्थिक हालात बिगडे, बेरोजगारी बढ़ी और राजनैतिक कारणवश मजदूरों का पलायन भी देखा। विगत लाकडाउन में कई मजदूर बेचारे पैदल चले थे तथा अनेक मजदूर हादसों का भी शिकार हुए। अब अगर हम सभी को ऐसी महामारी और संकट से बचना है, तो कोविड नियमों का पालन करना सीखना होगा।
सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि कोविड का नया एपिक सेंटर महाराष्ट्र बना हुआ है। वालाीबुड और खेल जगत की तमाम हस्तियां कोरोना पाजिटिव हो चुकी हैं। ये ऐसी हस्तियां हैं, जो अपनी फिटनेस का बहुत अधिक ख्याल रखती हैं। ये सभी हस्तियां योग, ध्यान और प्राणायाम करती हैं और साथ ही कोविड के सभी नियमों का पालन करती हैं। कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती भारतरत्न सचिन तेंदुलकर ने कहा कि हम कोरोना नियमों का अक्षरशः पालन कर रहे थे, तब भी हम कोरोना पाजिटिव हो गये। अतः सभी लोग अत्यधिक सावधानी और सतर्कता बरतें। पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और उनकी पत्नी सहित कई बड़े राजनेता भी कोरोना पाजिटिव हो चुके हैं। सभी हस्तियां समाज के लोगों से लगातार अपील कर रही हैं, लेकिन लापरवाही लगातार बढ़ रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जनता को संबोधित करते हुए यह बात स्वीकार की है कि जन मानस में लापरवाही बहुत अधिक बढ़ गयी है। शादियों व पार्टियों में बहुत अधिक भीड़ हो रही है। तब लोग सवाल करते हैं कि जिन राज्यों में चुनाव चल रहे हैं और बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही हैं, क्या वहां पर कोरोना नहीं होगा?
कोरोना रूपी राक्षस से बचने के लिए समाज को ही आगे आना होगा। अब तो हमारे पास दुनिया की सबसे अच्छी वैक्सीन भी आ गयी है। अब हम सभी को वैक्सीनेशन और अधिक से अधिक शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा। मास्क लगाना होगा। इस बार कोरोना की रफ्तार पिछले वर्ष के मुकाबले चार गुना अधिक है। इस बार युवा संक्रमण की चपेट में अधिक आ रहे हैं। भारत में कोरोना के नये वरिएंट का मिलना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। कोरोना वायरस के नये वैरिएंटस पर भारतीय वैक्सीन कितनी कारगर होगी ये भी एक बड़ा सवाल है इसलिए आपको आज ही मास्क वाला टास्क अपनाना चाहिए, आप खुद भी मास्क लगाये और किसी को बिना मास्क देखें, तो उससे भी मास्क लगाने का विनम्र निवेदन करें। आप मास्क से अपने नाक और मुंह को सही तरह से ढकें। मास्क के साथ मजाक बिल्कुल न करें, क्योंकि ऐसा करने से आप सरकार के जुर्माने से तो बच जायेंगे लेकिन कोरोना के संक्रमण से नहीं बच पायेंगे।
हार्वर्ड यूनिवसिर्टी के एक शोध के अनुसार अगर विश्व में 80 प्रतिशत लोग ठीक तरह से मास्क लगाने लगें, तो कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से रोका जा सकता है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मास्क आपको शत प्रतिशत कोरोना से बचा ही लेगा, लेकिन अगर सभी लोग अपनी आदतें सुधार लें, तो कोरोना के संक्रमण से लड़ाई काफी आसान हो सकती है। कोराना महामारी को एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे मिल जायेंगे, जिन्होंने या तो मास्क लगाया ही नहीं है या ऐसे लगाया है जिससे कोई फायदा नहीं होगा। लेकिन देश के हजारों लोग इतनी भयानक महामारी के तेज फैलाव के बीच भी सुधरने के लिए तैयार नहीं हैं।
लोग बिना मास्क लगाये घूम रहे हैं तथा जब लोगों को टोका तब वह अजीबोगरीब तर्क देते हैं, जिनको सुनकर हंसी भी आती है और गुस्सा भी आता है। आज देशभर में कोरोना से पीडित लोगों की संख्या में तेज गति से वृद्धि हो रही है। देशवासियों को अगर एक और तीखे लाकडाउन की पीड़ा से बचना है, तो उसे स्वतः प्रेरणा से नियमों का पालन शुरू कर देना चाहिए, अन्यथा देश के हालात दुरूह हो सकते हैं क्योंकि अभी भी महामारी का संकट टला नहीं, अपितु काफी गंभीर हो गया है और हर दिन 80 हजार से ऊपर कोरोना पाजिटिव केस आने लग गये हैं। अतः एक बार फिर कोरोना के नियमों का पालन करें और संकट से बचें।
— मृत्युंजय दीक्षित