बैलगाड़ी में सैर
चलो चलैं हम मेला देखन मौसम बहुत सुहान रे
बैलगाड़ी में हम सैर करेंगे, घंटी लिये लगवाय रे
ऊबड़ खाबड़ सड़क पर चलती खेत खलिहान लुभाय रे
धीमे धीमे बैल चलत हैं मौजवा खूब दिलाय रे
दुर्घटना का डर कोई नाहीं, जहाँ चाहे रुकवाय रे
बैलगाड़ी में हम सैर करेंगे, घंटी लिये लगवाय रे
बडे काम की मेरी बैलगाड़ी, गोरी के मन को भाय रे
हाट बाजार हमें ले जाये व्यापार हमारे ये बढाये रे
खेल खलिहान की फसल को ढोवत घर तक हमें पहुँचाय रे
गाँव वालों की करै मदद ये बाहर तक उनका लेई जाइ रे
बैलगाड़ी में हम सैर करेंगे, घंटी लिये लगवाय रे
रात बिरात भी काम जो कोई तुरतै काम में आय रे
लेते थोड़ा समय अधिक पर मंजिल तक पहुँचाय रे
थक जाते जब बैल हमारे लेत जरा सुस्ताय रे
प्यार से उनको जरा पुचकारो चलने को फिर हैं ये तैयार रे
बैलगाड़ी में हम सैर करेंगे, घंटी लिये लगवाय रे
सस्ता से परिवहन का साधन प्रदूषण नहीं फैलात रे
घंटी की आवाज मधुर सुन बच्चों के चेहरे खिल जात रे
बैल हमारे बहुत ही प्यारे सगरे गाँव की शान रे
यारन का बहुत ही शुक्रिया बैलगाड़ी में दियो है बैठवाय रे
बैलगाड़ी में हम सैर करेंगे, घंटी लिये लगवाय रे
— नवल किशोर अग्रवाल