जिंदगी सिर्फ आपकी नहीं है !
सच तो अभी यही है–
“अभी ज़िन्दगी
अस्त-व्यस्त हो चली है
और लोगों को शादी पड़ी है !
‘लॉकडाउन’ हमारे हित में हैं ।
बहरहाल,
यह हटनेवाली नहीं है ।
अगर हट भी गयी,
तो महामारी
यानी कोरोना कहर से
हमें खुद बचने के लिए
सोशल डिस्टेंस
लेने ही पड़ेंगे !”
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एक तरफ हम महामारी से बचने के लिए परिजनों और प्रियजनों से दूरी बरत रहे हैं, दूसरी ओर लोगों को जुड़ने के लिए ‘शादी’ पड़ी है, अफसोसनाक है ! दोपहर का भोजन…. मकई का भूँजा…. कथाकार अमरकांत जी के नहीं, अपितु मेरे लिए आज का भोजन !
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हमें सर्वजन हिताय का ध्यान रखते हुए ऐसे आयोजनों को सख्ती से करें नक्को ! अभी शादी बिल्कुल ही बर्बादी है, इसलिए फिलहाल त्याग और संयम बरतेंगे, तभी महामारी से सुरक्षित रह पाएंगे !
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वास्तव में–
“जान भी मेरी, जहान भी मेरी !
किन्तु इसके लिए
अलग-थलग रहिये,
परिजनों और प्रियजनों से भी
संयम और दूरी बरत कर….”
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हाँ, भई–
“मोहब्बत एक ऐसा सबक है,
जिसे आप जिंदगी भर
सीख नहीं सकते !”