/ भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर /
जन्म हुआ था, महार जाति में
विकास हुआ था, विश्वनर के रूप में
वर्ण के साथ, वर्ग के साथ,
जाति के साथ मत जोड़ो
पूजा मत करो, देवता नहीं
मानव हैं वे मानवता के बोध हैं
भेद – विभेदों का जाल तोड़ो
समता – बंधुता, भाईचारा भर लो
अंधकार को चीरते हुए
निकल आया है सूरज बनकर
फैलने लगी है उनकी विचारधारा
पढ़ाई की इस दुनिया में
नव समाज के बीज बोते रहो
तोड़ो, जात – पांत, पाखंड आचार
श्रम के साथ चलो, अपना कुछ बनो
ऊँच – नीच कोई नहीं यहाँ
हरेक का अपना अलग महत्व
मान – सम्मान, अस्मिता की चेहरा
सबका होने दो.. सबका होने दो
स्वार्थ का पर्दा हटाओ
यथार्थ के धरातल पर
देखो, विशाल जग को
कोई पराया नहीं, अपने हैं सभी।