कविता

मायका

कभी कभी दिल चाहता है ,
उड़ कर जाना उस जगह,
आंगन में उस जहाँ है बचपन
पर उड़े कैसे वो क्योंकि ,
बंधन में है पिंजरे के वो,
जिम्मेदारी का घेरा है आस पास,
कैसे तोड़े इस बंधन को वो,
जिसमे बांध दिया खुद बाबुल ने,
तब तन्हाई में अकेले सोचती है
काश मायका होता नजदीक ,
पल में पहुंच जाती वो वहां,
मिल आती सभी से जब चाहे ,
जिम्मेदारी भी इसको न लगती बंधन ,
काश ! मायका होता उसका इसी शहर में
इतनी न याद आती कभी मायके की ।।

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।