असत्यक समाज के फ़रेब में
“असत्यक, भ्रष्टक,
हिंसक, फरेबी जैसे
बेटे – बेटियों के लिए
अनशन करते – करते
थक जाते,
किन्तु समस्या
जस की तस लगी
और बनी रहती
और आप पल – पल
परेशान हो उठते !
….तो कहिये,
क्या दूँ मैं ?
सिर्फ मैं
अपनी हताशा का
चिरागभर
जलाने के सिवाय !”
वाकई में जो सरकारी सौजन्य से अथवा एनजीओ द्वारा कागज में जो वृक्षारोपण कराए गए थे, उनके बल्ले-बल्ले; क्योंकि बाढ़ के कारण वो पौधे तो बह गए ! जिनकी खेत में फसल लगी ही नहीं थी, वे माँगेंगे बाढ़ से नष्ट होने को लेकर फसल क्षतिपूर्त्ति…. चलेगी तब बंदरबाँट ! बाढ़ (आपदा) फिर बाढ़ राहत वितरण, तब फिर बाढ़ राहत घोटाला । अंत में जाँच और परिणाम फिस्स; यही तो होता है आजतक ! पता है, गाँधी जयंती में जन्मे कटिहार ज़िला 2 अक्टूबर 2021 को 48 बरस के हो जाएंगे कि वहीं 31 लाख आबादी, महज़ 1 सरकारी सदर अस्पताल, अपना बस स्टैंड उद्घाटित नहीं !
एक और टीस यानी अबतक जितने भी भारतीय प्रधानमंत्री हुए, उनमें सबसे सस्ती पोशाक ‘लाल बहादुर शास्त्री’ ही पहनते थे ! महँगे पहनावेवाले को आप बताएंगे? नेहरू जी, इंदिरा जी, राजीव जी, मोदी जी, गुजराल जी, वाजपेयी जी…. एक चाय बेचनेवाले ने महँगा सूट पहन लिए, तो अमीर आदमी भुनभुना उठे ! कांग्रेस के तीनों प्रधानमंत्री ने ऐसा किये, तो आप मौन हो गए !