अंततोगत्वा
20 अप्रैल 2020 की रात में आँधी-तूफान से व्यापक क्षति हुई थी यानी उस रात की आँधी-तूफान ने मिट्टी के घर गिरा दिए, टीन के घरों को उड़ा दिए।
पक्के मकानों की वेंटिलेशन को तोड़कर पानी सोते के ऊपर उड़ेल दिए ! खेतों में लगे फसल यथा- गेहूँ, मकई आदि और कटे फसल को तबाह कर दिए।
कई हजार पेड़ों को उजाड़ दिए, तो बिजली के तारों और खम्भों को तहस-नहस कर दिए ! पूर्णिया प्रमंडल में 10-15 घण्टे बिजली गायब रही।
एक तो कोरोना कहर के कारण लॉकडाउन है, दूजे आँधी-तूफान यानी एक तो नीम तीता, दूजे करेला चढ़ाय।
अगर महामारी में इस तूफान की दुःखद स्थितियों को देखिए तो एक और कहावत चरितार्थ होती है यानी कोढ़ में खाज । मेरी भी क्षतियाँ हुई थी।
बेंग चॉप यानी खबर निराधार [जहानाबाद, बिहार में बच्चे भूख के कारण मेढ़क नहीं खा रहे थे!] शायद मेढ़क से खेल रहे थे !
हम रोटी,कपड़ा,मकान, हर क्षेत्र में विकास की चाह रखते-रखते चुनाव के दिन अंतत:अपने-अपने धर्म व जाति के उम्मीदवार को वोट कर आते हैं !
हम विकास और धरनिरपेक्षता की बात लाख बार कर लें, इसके बावजूद किन्तु कटिहार में वोट आख़िरकार ‘सिद्धू’ की बात पर ही हुआ ?