तेरी यादों की परछाई
तेरी यादों की परछाई नहीं सोने देती
गुफ़्तगु की वो रानाई नहीं सोने देती
रुठकर नींद जा बैठी है दूर आंखों से
चांदनी की शनासाई नहीं सोने देती
जाने क्यों है धुआं धुआं सा दिल की राहों में
झूम के फिर घटा छाई नहीं सोने देती
वो हसीं बातें वो वादे वो लम्हों के साए
और उसपे ये जुदाई नहीं सोने देती
इक मुलाकात समाअत से भरी होने दें
ये सवालों की शहनाई नहीं सोने देती
झूठे ख़्वाबों का क्या गिला “स्वाती”
आंखें अश्कों से भर आई नहीं सोने देती
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”