गीतिका/ग़ज़ल

तेरी यादों की परछाई

तेरी यादों की  परछाई नहीं सोने देती
गुफ़्तगु की वो रानाई नहीं सोने देती
रुठकर नींद जा बैठी है दूर आंखों से
चांदनी  की शनासाई नहीं सोने देती
जाने क्यों है धुआं धुआं सा दिल की राहों में
झूम  के  फिर  घटा  छाई  नहीं सोने देती
वो हसीं बातें वो वादे वो लम्हों के साए
और  उसपे  ये जुदाई  नहीं सोने देती
इक मुलाकात समाअत से भरी होने दें
ये सवालों की शहनाई नहीं सोने देती
झूठे ख़्वाबों का क्या गिला “स्वाती”
आंखें अश्कों से भर आई नहीं सोने देती
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती” 

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है