भूला नहीं वो ….
भूला नहीं वो धूप में झोंका बयार का
तेरी हसीं जवानी वो लम्हा प्यार का
खिलते हुए वो फूल ,मंजर वो शोखियाँ
मुस्कुरा के हमें देखना हसीं बहार का
हरियालियाँ वो घाटियाँ वो उडती हुई घटा
आंगन में मेरे नाचना वो शीतल फुहार का
चिड़ियों का चहचहाना वो आकर मुंडेर पर
वो धुप गुनगुनी वो मौसम कवार का
इक पराये गाँव में अपने हुए थे जो
दिल आज भी है कायल उनके दीदार का
रह रह के उठती हूक सी पाने को आज भी
इतना हसीं था मंजर उस दयार का
दिए लिए खड़ा था जो स्याह रात में
चूका न पाया कर्ज कभी उसके उधार का
करवटें बदलते हुए जीवन निकल गया
सिलवटों में रह गया दर्द यार का
— अशोक दर्द