कविता

हिम्मत से काम लो कुछ नहीं होगा डर के

हर तरफ लाशें जल रही
भरा हुआ हर शमशान है

कोरोना तांडव कर रहा
आज हर शख्स परेशान है
कुदरत की मार बहुत पड़ रही
समझता नहीं मूर्ख इंसान है
पानी में तैर रही हैं फसलें
पानी से भरा खेत खलिहान है
अपनों को मरते देख कर
हर आंख नम और अधीर है
नेता रैलियों में व्यस्त हैं
मर गया जैसे उनका ज़मीर है
सत्ता के गलियारों में सुनता नही कोई
सब अपने में ही मस्त है
जनता देख रही मज़बूर नज़रों से
बता नहीं सकती झेल रही जो कष्ट है
कैसे बताएं किसको सुनाएं
यह जो तबाही आई है
किसी की माता किसी का पिता
बिछड़ा किसी का भाई है
किसी के बस में नहीं कुछ
सब अपने कर्मों का लेखा है
बुजुर्ग भी कहते हैं सारे
ऐसा हाल ज़िन्दगी में नहीं देखा है
कितना कमजोर है आदमी
यह वक्त ने बता दिया
एक छोटे से वायरस ने
आज आईना दिखा दिया
यह अदृश्य दुश्मन सबको
रुला रहा जी भर के
हिम्मत से काम लो सभी
कुछ नहीं होगा डर डर के
इक दिन यह कोरोना मर जाएगा
पर ज़िन्दगी तहस नहस कर जाएगा
जो घाव दिए हैं इसने हम सभी को
वो घाव रिसेगा कभी न भर पायेगा
कोरोना का डट कर करो मुकाबला
इससे बिल्कुल नहीं डरना है
जिंदगी की जंग नहीं हारेंगे हम
इससे मिलकर लड़ना है
— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र