यह खिड़की, जो बंद रहती है, बड़ा तड़पाती है….
आध्यात्मिक दुनिया में कभी ओशो के शिष्य, तो कभी श्री श्री के संग ! खलनायक से नायक बने । पूरब और पश्चिम, अचानक, कैद, कुर्बानी, दयावान, हेराफेरी, प्रेम कहानी, अमर अकबर एंथोनी, मैं तुलसी तेरे आंगन की, रेशमा और शेरा….
दबंग में मक्खी के पिता…. वास्तव में वैसे भी दो पत्नी, चार बच्च। अक्षय खन्ना संतानों में बड़े, जिनकी ‘ताल’ में आत्मविश्वास से लबरेज रोल, जो मानसी से कहता है- मानसी तो मानवसी है, वो मानव की है !
हरदिल अज़ीज़ बिनोद खन्ना को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि…. ‘यह खिड़की, जो बंद रहती है, बड़ा तड़पाती है’….. ‘हम तुम्हें चाहते हैं, ऐसे’….
कविता के सहारे–
“हिंदी फिल्मों में
ईमानदार पुलिस वर्दी में
दो ही फबे- शशि कपूर
और बिनोद खन्ना।
…. और आज खन्ना जी
जिस्मानी दुनिया को छोड़
रूहानी दुनिया की
सैर में निकल पड़े।
आध्यात्मिक दुनिया में
कभी ओशो के शिष्य,
तो कभी श्री श्री के संग !
खलनायक से नायक बने।
पूरब और पश्चिम,
अमर अकबर एंथोनी,
मैं तुलसी तेरे आंगन की,
रेशमा और शेरा….
दबंग में मक्खी के पिता….
हरदिल अज़ीज़
बिनोद खन्ना को
सादर श्रद्धांजलि
कि ‘यह खिड़की,
जो बंद रहती है,
बड़ा तड़पाती है’…..
‘हम तुम्हें चाहते हैं, ऐसे’ !”