कविता

मीठे औषधीय बोल

मीठे बोल
औषधि समान होते है,
सिर्फ़ तन मन ही नहीं
या खुद के लिए ही नहीं
घर,परिवार, समाज के लिए
टानिक समान होते हैं।
बस मीठे और संतुलित बोल
बोलकर तो देखिए,
अपनी आदत में शुमार कीजिए
आपको एहसास हो जायेगा,
मीठे बोल के औषधीय गुणों का
मूल्य समझ में आ जायेगा।
बिना श्रम अमृत सदृश
अपना भाव बतायेगा,
खुशियों का संसार
आपके कदमों में ही नहीं
आपके आस पास भी
खिलखिलायेगा,मुस्करायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921