सामाजिक

ये समय भी नहीं रहेगा…

आज हम सब के सामने एक भयंकर विभीषिका खड़ी है जो हमारे स्वजनों, परिजनों को लीलती जा रही है। ऐसा लगता है मानों कोई भीषण नर संहार चल रहा है । जहाँ देखो दुःख, तकलीफ़, लाचारी और मृत्यु मुँह बायं खड़ी है।  इतने करुण दृश्य आँखों के सामने प्रतिदिन नाचते हैं कि जिन्हें देखकर मन सिहर उठता है । किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी की माँ, चंद मिनटों में तड़पते हुए दम तोड़ रहे हैं । यह इस काल-खंड का सबसे वीभत्स समय है ।

ईश्वर की सबसे सुन्दर, सशक्त एवं सभ्य कही जाने वाली कृति मनुष्य का समस्त ज्ञान,विज्ञान आज धराशायी है ।

ऐसे समय में हम क्या करें ? ये प्रश्न हमारे सामने खड़ा है।

मित्रो! ये समय हिम्मत खोने का या निराश होने का नहीं है। ये समय है मजबूती से डटे रहने का और समस्याओं का सामना करने का, जब भी समस्याएँ हमारे जीवन में अधिक विराट और विकराल होकर उपस्थित होती हैं तो हमें याद रखना चाहिए कि ये समस्याएँ जितने तेज प्रवाह के साथ हमारे जीवन में आई हैं उतनी ही तेज़ गति से बाहर भी जाने वाली हैं। ‘ कहाँ तक ये मन को अँधेरे छलेंगे, उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे।।’

अतः उस कष्टपूर्ण समय को सतर्कता और सकारात्मकता के साथ बीत जाने देना चाहिए। यदि आप उस समय के साथ स्वयं को जोड़ते हैं और उन समस्याओं के प्रवाह और प्रभाव का बार-बार चिंतन करते हैं तो समस्या ज्यादा बड़ी और भयानक लगने लगती है। इस समय को जप,तप,ध्यान एवं स्वाध्याय के द्वारा निकालने का प्रयत्नं कीजिए सहज सहज रहने की कोशिश कीजिए । हालांकि ये कहना जितना आसान है उतना ही इस विचार को समझकर जीवन में उतारना मुश्किल लगता है लेकिन प्रयत्न करते रहना चाहिए।

इस समय हमें अपने शरीर के साथ-साथ मन की इम्युनिटी भी बढ़ानी है। हमें स्वयं मन को नकरात्मक विचारों में गिरने से बचाना है । आपका मन, आपका चिंतन अच्छा है आप अंदर से प्रसन्न और मानसिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ है, आपको कोई चिंता, भय या दुख तकलीफ नहीं है तो इसके लिए भगवान् को धन्यवाद दें और काल-कवलित आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते रहें ।

— पंकज कुमार शर्मा ‘प्रखर’

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर' लेखक, विचारक, लघुकथाकार एवं वरिष्ठ स्तम्भकार सम्पर्क:- 8824851984 सुन्दर नगर, कोटा (राज.)