कविता
दूजे की कमियां देख देख
मसवरा बहुत सा दे डाला
कितना यूं समय बर्बाद किया
आखिर में हाथ न कुछ आया
अन्तर्मन में झांको पहले
निज कमियों की पहचान करो
चुन चुन कर फिर तुम वार करो
अपना मन निर्मल कर डालो
केवल कमियां ही देखीं तो
आगे न बढ़ पाओगे
बढ़ भी गए यदि किसी तरह से
लम्बे न टिक पाओगे
आत्म निरीक्षण बहुत जरूरी
पूर्णता से अपनाना है
‘ पर उपदेश कुशल बहुतेरे’
कहावत को झुठलाना है
हर कोई यदि यह प्रण लेकर
पहले अपने में करें सुधार
यह धरा स्वर्ग बन जाएगी
सम्पूर्ण जगत का हो विकास
— नवल अग्रवाल