गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

इक दर्द का दरिया मेरी आँखों से रवाँ है
कल तक था जो आनन्द का सागर वो कहाँ है

तज कर जो बिलखती हुई राधा को गया है
दुनिया के लिए जो भी सही कृष्ण मुआँ है

इस बस्ती में कल तक था उजाला ही उजाला
कब कैसे लगी आज यहाँ कैसे धुआँ है

हैं भूखे इधर पेट उधर भूखी निगाहें
इक ओर इधर खाई तो उस ओर कुआँ है

मैं ‘शान्त’ आदमी हूँ यही है मेरा कुसूर
जीना मेरा दुश्वार है ये कैसा जहाँ है

— देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ