कालचक्र
कौन किसको बंधाए ढाढस
सब रंज में डूबे हुए
किस के कांधे
सर रख रोए
कोई कंधा मयस्सर नहीं
सब बच निकल रहे
कंधे अपने अपने बचा
किसको दें आवाज
जो पहुंचे किसी कानों में
वाह रे वक़्त
किया तूने क्या कमाल
दोस्त दोस्त न रहा
रहा न कोई रिश्ता नाता
टूट गए सब बंधन
रहा न कोई साथ