कुकुरमुत्ते की तरह
छात्रों के
किताब की दुकानों से
पहले
हमारे बड़े सरकार ने
पहले
‘शराब’ की दुकान खुलवाई !
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मेरे लिए फेसबुक
‘मनोरंजन’ का साधन है,
समाचार पाने का नहीं !
कृपया सज्जन लोग
मेरे जैसे मूर्ख
और बकवास लोगन के
पोस्ट पर
मत आइये !
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मैं कभी नहीं भटकता,
जिंदगी में हास्य लाइये !
कोई शब्द गलत नहीं है,
नजरिया गलत है !
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क्षेत्र में
समाजसेवियों की संख्या
कुकुरमुत्ते की तरह
उग आई है,
जो खुद भरपेट खाकर
‘भूखे’ के बारे में
मुद्दे उठाकर
चिंतक कहलायेंगे !
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आजकल सड़क पर
साँड़, बोतु, घोड़े और कुत्ते
‘लिंगिस्तान’ निकाले
‘दबंग’ घूमते हैं !
लॉकडाउन में
उनके कृत्य पर रोक
कौन लगाएंगे ?
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मूर्ख और बकवास
लोगों के
पोस्ट पर
क्यों आ जाते हैं ?
आप जैसे
सज्जन लोगों को
इस मंच पर
कोई दरकार नहीं !
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सड़क पर
आवारागर्द पशु
घूम रहे हैं,
जो मेरे आँगन
घुस आते हैं !
मैं खुद दो वक्त
भूखे रहता हूँ,
फिर
‘आवारागर्द’ की चिंता
कौन करें ?