/ बदले अपनी सोच /
समझ लो मेरे प्यारे भाइयो !
करोना के इस आपात काल में
एक दूसरे से दूर – दूर रहकर
अछूत का यह करोना आचार
असहनीय पीड़ा देता है, यही
हजारों सालों से जाति-धर्म का
अनाचार की वजह से दलित
छुआछूत की पीड़ा नित्य जो
भोगते आने लगे हैं इस समाज में।
काल की कठोरता से जो सीख
हमें मिलती है उसको हम
जरूर सीखनी चाहिए हरदम
साफ – सफाई के गंदे कामों में
समाज के हित में अपने को समर्पित
जान गँवानेवाले हर इंसान की महत्ता
स्वीकार करो, जग में जाहिर करो,
अपना दिमाग लगाकर देख लो
अपना दिल मिलाकर पहचान लो।
नव समाज की परिकल्पना हम करें
साकार की दिशा में सहयोग दें
समता – ममता, भाईचारे से ही
सुख – शांति होगी चारों ओर
लौकिकता हमारे लिए भव्य भरमार
सबका कल्याण, सबका विकास
संविधान की छाया में होगी
एक दूसरे को जानो, पहचानो,
स्वार्थ के कुटिल तंत्र सभी
चिंतन के आग में जला दो
एकांत के क्षणों में निश्चल हो
समझ लो, जिंदगी के इस तंत्र को।