कविता

/ बदले अपनी सोच /

समझ लो मेरे प्यारे भाइयो !
करोना के इस आपात काल में
एक दूसरे से दूर – दूर रहकर
अछूत का यह करोना आचार
असहनीय पीड़ा देता है, यही
हजारों सालों से जाति-धर्म का
अनाचार की वजह से दलित
छुआछूत की पीड़ा नित्य जो
भोगते आने लगे हैं इस समाज में।

काल की कठोरता से जो सीख
हमें मिलती है उसको हम
जरूर सीखनी चाहिए हरदम
साफ – सफाई के गंदे कामों में
समाज के हित में अपने को समर्पित
जान गँवानेवाले हर इंसान की महत्ता
स्वीकार करो, जग में जाहिर करो,
अपना दिमाग लगाकर देख लो
अपना दिल मिलाकर पहचान लो।

नव समाज की परिकल्पना हम करें
साकार की दिशा में सहयोग दें
समता – ममता, भाईचारे से ही
सुख – शांति होगी चारों ओर
लौकिकता हमारे लिए भव्य भरमार
सबका कल्याण, सबका विकास
संविधान की छाया में होगी
एक दूसरे को जानो, पहचानो,
स्वार्थ के कुटिल तंत्र सभी
चिंतन के आग में जला दो
एकांत के क्षणों में निश्चल हो
समझ लो, जिंदगी के इस तंत्र को।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।