नर-नारी के एक होने से
इक-दूजे से शेयर करके, परिवार की गाड़ी चलती है।
नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।।
सहयोग समन्वय से आगे बढ़ के।
साथ-साथ बढ़, सीढ़ी चढ़ के।
विकास पथ पर, आगे बढ़ो मिल,
मिट जाओगे, अकेले अढ़ के।
इक-दूजे की देखभाल कर, प्रेम भावना बढ़ती है।
नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।।
केयरिंग-शेयरिंग, सूत्र यहाँ पर।
पारिवारिक हैं, मूल्य जहाँ पर।
प्रेम, त्याग, समर्पण, निष्ठा,
साथ में जीते, स्वर्ग वहाँ पर।
छल, धोखा, कपट भावना, परिवार में सबको खलती है।
नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।।
प्रेम से देखो, घर महकेगा।
दिखावे से तो, बस बहकेगा।
इक-दूजे हित जीना सीखो,
रोम-रोम फिर से चहकेगा।
ईष्र्या, द्वेष तज, प्रेम भाव से, सूरत घर की बदलती है।
नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।।